नजर और नज़ारे
बदल दिया है तूने अपने नजरो को ,
और अब नजारों को दोष दे रही है ।
फँस गई है अपने दिल के भँवरों में ,
और अब किनारों को दोष दे रही है ।
तूने ही किया था इजहार-ऐ -इश्क़ मुझसे ,
और अब मेरे दिल के इशारों को दोष दे रही है ।
आपका दोस्त - सुमित सोनी
बदल दिया है तूने अपने नजरो को ,
और अब नजारों को दोष दे रही है ।
फँस गई है अपने दिल के भँवरों में ,
और अब किनारों को दोष दे रही है ।
तूने ही किया था इजहार-ऐ -इश्क़ मुझसे ,
और अब मेरे दिल के इशारों को दोष दे रही है ।
आपका दोस्त - सुमित सोनी
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