Wednesday 29 January 2020


गीत -:  जाँच करो कुछ  छूट रहा है
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जाने वाले  जाते - जाते जाँच करो कुछ  छूट रहा है,


गिन-गिनकर भर लिए यहाँ से सामान सुनो तुम सारा,
लेकिन अब भी हिचक लगी है तुम गिनते हो दोबारा,
फिर भी  याद नहीं  यादों का घरिया  छोड़े  जाते  हो,
और वही यादों का घरिया आँसू बन कर  फूट  रहा  है,
जाने  वाले जाते - जाते  जाँच करो  कुछ  छूट रहा है,


पूछ रहे  थे  याद तुम्हारी मुझको  कितना  आएगी ,
समझो मेरी   इन आँखों  से 'गंगा'  बहती   जाएगी,
मुझे  पता  है  हाल तुम्हारा  मेरे   जैसा  ही   होगा ,
इस बिछुड़न में जाने क्या क्या अंदर अंदर टूट रहा है,
जाने वाले  जाते - जाते  जाँच करो कुछ छूट रहा  है,


यार पता है  फोन करोगे  दिन - दिन  भर बतियाओगे,
रोज वीडियो  कॉल करोगे  मुझको  चाँद  दिखाओगे,
सब कुछ  जान रहें  हैं  लेकिन मन है  रुंधा  रुंधा सा,
जाने  दुख का  कौन रूप है मुझको  ऐसे  कूट रहा  है,
जाने वाले  जाते - जाते  जाँच करो  कुछ छूट रहा  है,


Monday 27 January 2020


कविता -: सिया उठो और धनु सम्भालो
    नारी सशक्तिकरण
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सिया उठो तुम धनु सम्भालो,
अब तो अपनी राम तुम्हीं हो

स्वयं तुम्हें ही वन जाना है,
फिर अपना भाग्य निभाना है,
आज यही निश्चय कर लो तुम,
पौरुष अपना दिखलाना है,
सिया उठो खुद को पहचानो,
तुलसी शालिग्राम तुम्हीं हो,
सिया उठो तुम धनु सम्भालो,
अब तो अपनी राम तुम्हीं हो, (  १. )

रावण आये हरने को जब
तुमको उसका वध है करना,
प्रश्न उठाये  यदि कोई तो,
उसके सम्मुख उत्तर धरना,
सिया उठो तुम शस्त्र उठा लो,
सबकी पूर्ण विराम तुम्हीं हो,
सिया उठो तुम धनु सम्भालो,
अब तो अपनी राम तुम्हीं हो, ( २. )

मात पिता सब बनना भी है,
लव कुश तुमको जनना भी है,
रोक पुत्र के बाण स्वयं ही,
मान राम का धरना भी है,
दिनकर भी कहने आयेंगे,
तुम्हीं सुबह हो शाम तुम्हीं हो,
सिया उठो तुम धनु सम्भालो,
अब तो अपनी राम तुम्हीं हो,  (  ३. )

क्रमशः ......

सुमित सोनी

Special post

मेरा बचपन

            बचपन- छुटपन की यादों में  खोये छुटपन की यादो में जब मस्त मगन हम होते थे वो दिन भी कितने अच्छे थे जब हम अनजाने बच्चे थे । ...