Wednesday, 29 January 2020
__________________________
जाने वाले जाते - जाते जाँच करो कुछ छूट रहा है,
गिन-गिनकर भर लिए यहाँ से सामान सुनो तुम सारा,
लेकिन अब भी हिचक लगी है तुम गिनते हो दोबारा,
फिर भी याद नहीं यादों का घरिया छोड़े जाते हो,
और वही यादों का घरिया आँसू बन कर फूट रहा है,
जाने वाले जाते - जाते जाँच करो कुछ छूट रहा है,
पूछ रहे थे याद तुम्हारी मुझको कितना आएगी ,
समझो मेरी इन आँखों से 'गंगा' बहती जाएगी,
मुझे पता है हाल तुम्हारा मेरे जैसा ही होगा ,
इस बिछुड़न में जाने क्या क्या अंदर अंदर टूट रहा है,
जाने वाले जाते - जाते जाँच करो कुछ छूट रहा है,
यार पता है फोन करोगे दिन - दिन भर बतियाओगे,
रोज वीडियो कॉल करोगे मुझको चाँद दिखाओगे,
सब कुछ जान रहें हैं लेकिन मन है रुंधा रुंधा सा,
जाने दुख का कौन रूप है मुझको ऐसे कूट रहा है,
जाने वाले जाते - जाते जाँच करो कुछ छूट रहा है,
Subscribe to:
Posts (Atom)
Special post
मेरा बचपन
बचपन- छुटपन की यादों में खोये छुटपन की यादो में जब मस्त मगन हम होते थे वो दिन भी कितने अच्छे थे जब हम अनजाने बच्चे थे । ...
-
कविता -: सिया उठो और धनु सम्भालो नारी सशक्तिकरण _________________________________ सिया उठो तुम धनु सम्भालो, अब तो अपनी राम तुम्ही...
-
अनजान रह गया वो शख्श जिंदगी में जिसने औरो की फिक्र में जिंदगी गुजार दी ।। गरीब रह गया वो शख्श जिंदगी में जिसने औरो की जर...