Saturday 10 September 2016

प्रेम पत्र - love later

            प्रेम पत्र

सुनो ,
            जब मैंने तुम्हे पहली बार देखा था न तभी से तुम मेरे जेहन में बस गई हो सोते जागते हँसते रोते खाते पीते समय , यानी की हर समय मुझे तुम्हारी ही प्यारी सी सूरत दिखाई देती है

जब से नजरो में आई हो 
तुम तो दिल में छाई हो 
हो गया हूँ जैसे बेबस मैं 
तुम तो मेरी जिंदगी में समाई हो ।

वही झील सी आँखे वही नदियो के मुहाने से खूबसूरत होंठ प्यारी सी नाक भोला भाला और सबसे अच्छा वाला चेहरा और इस चेहरे पर लटकती हुई तुम्हारी ये लटें जिन्हें तुम अपने हांथो की अँगुलियों से बार बार उठाकर कान के पीछे फंसा देती हो और ये है की किसी बदमाश की तरह फिर से तुम्हारे कोमल से गालों पर तुम्हे छेड़ने के लिए आ जाते है ।

झील सी आँखे और गुलाबी गाल देखूं
रब का बनाया एक शक्श कमाल देखूं
जो तू नहीं तो शायद गरीब हो जाऊं
और तू मिले तो मैं मालामाल हो जाऊँ

ना जाने क्यों मैं चाह कर भी कुछ और अलग नही सोच पाता हूँ कई बार मैंने कोशिश भी की मैं तुम्हारे बारे में ना सोच कर कुछ और सोचूँ या फिर किसी और को याद करूँ पर नहीं यार कुछ समझ ही नही आता की अब ये मेरा दिल मेरी ही बात क्यों नही मान रहा है मुझसे ही बेवफाई क्यों कर रहा है ऐसे लगता है की जैसे इसका मालिकाना हक तुम्हे ही मिल गया है ।

ये दिल हुआ है अब तेरा 
बस नही चल रहा मेरा ना जाने क्यों
गा रहा है ये तेरे धुन को ही हरपल
खुद को भूलता जा रहा है ना जाने क्यों
क्यों ऐसी बेबसी है छाई
क्यों ऐसी आफत है मुझपे आई
मेरा होकर भी ये मेरा दिल मेरा ना रहा
बस तेरी ही यादें मुझको हर पल आई



अब तो साँसे भी हर पल तुम्हारा नाम लेने लगी है और तो और ये सब मेरे साथ पहली दफा हो रहा है जब कोई मेरी जिंदगी में इस कदर छा गया है बस हर पल हर जगह उसी की तस्वीर दिखाई दे रही है और उसी के होने का अहसास हो रहा है और सच कहूँ तो मुझे भी इस से ख़ुशी मिलने लगी है अगर यही प्यार है तो मैं खुशनसीब हूँ की मैं भी प्यार को महसूस कर सकता हूँ और सच पूछो तो मैं इस अहसास को कभी खोना नही चाहता बोलो क्या तुम भी मेरा साथ दोगी ना इस जिंदगी को और भी हसीं बनाने में .......?


क्या तुम भी मेरे लिए कुछ ऐसा ही महसूस कर रही हो अगर हाँ तो क्या तुम जिंदगी भर के लिए मेरा हाथ थामना चाहोगी यकीन मानो मैं तुम्हे कभी भी जिंदगी के किसी मोड़ पर अकेला नही छोड़ूंगा । प्यार तो तुमसे बे- इंतेहा करता ही हूँ इसलिए हमेशा खुशियों के ढेर पर बैठा कर रखूँगा और तुम्हारे ऊपर गम के एक भी बादल बरसने नही दूंगा ।

साँसों में बसने लगी हो तुम
हो गया है तुमसे मुझे प्यार
बोलो तुम चलोगी मेरे साथ 
जिंदगी के सफर पर मेरे यार
क्योंकि 
तूम मेरी इबादत हो 
तुम लगती क़यामत हो 
मैं जी ना सकूँ तेरे बिन


बोलो ना क्या तुम मेरी जिंदगी की हमसफ़र बनोगी 
बोलो न क्या तुम मेरे साथ जिन्दगी भर का सफ़र चलोगी 
क्या तुम भी मुझसे बिना शर्त के बे - इंतेहा मुहब्बत करोगी ।

 मेरे आखिरी शब्द -
मुझे नही पता की तुम क्या सोच रही हो मगर मैं और मेरा दिल हम दोनों हमेशा यही कहेंगे की 
हमें तुमसे मुहब्बत है
हमें तुमसे मुहब्बत है 
में तुमसे मुहब्बत है

हमेशा की तरह आज भी तुम्हारे इन्तजार में

                      
                              सिर्फ तुम्हारा
                                  
                                  ( सुमित )


सुमित कुमार सोनी - फेसबुक

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