Wednesday 27 January 2016

नजर और नजारें

                   नजर और नज़ारे

बदल दिया है तूने अपने नजरो को ,
और अब नजारों को दोष दे रही है ।

फँस गई है अपने दिल के भँवरों में ,
और अब किनारों  को दोष दे रही है ।

तूने ही किया था इजहार-ऐ -इश्क़ मुझसे ,
और अब मेरे दिल के इशारों को दोष दे रही है ।

     आपका दोस्त - सुमित सोनी

No comments:

Special post

मेरा बचपन

            बचपन- छुटपन की यादों में  खोये छुटपन की यादो में जब मस्त मगन हम होते थे वो दिन भी कितने अच्छे थे जब हम अनजाने बच्चे थे । ...